Thursday, March 3, 2011

ईसाइयत और इस्लाम ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, उन्होंने वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया

हमारी घोषणा


ईसाइयत और इस्लाम ने जहां भी आक्रमण या घुसपैठ की, उन्होंने वहाँ की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया. लक्ष्य प्राप्ति में भले ही शताब्दियाँ लग जाएँ, ईसाइयत और इस्लाम आज तक विफल नहीं हुए. भारतीय संविधान का संकलन वैदिक सनातन धर्म और उसके अनुयायियों को मिटाने के लिए हुआ है. ईसा १० करोड़ से अधिक अमेरिकी लाल भारतीयों और उनकी माया संस्कृति को निगल गया. अब ईसा की भेंड़ सोनिया काले भारतीयों और उनकी वैदिक संस्कृति को निगल रही है. जिन्हें देश, वैदिक सनातन धर्म और सम्मान चाहिए-हमारी सहायता करें.



जी हाँ! हम अभिनव भारत और आर्यावर्त के लोग मस्जिदें नहीं रहने देंगे. हमने बाबरी ढांचा गिराया है. हम ईसाइयत और इस्लाम के विरोधी हैं. क्यों कि मस्जिदों से हमारे वैदिक सनातन धर्म का और ईश्वर का, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ के अधीन सरकार द्वारा दिए गए संरक्षण में, अपमान होता है, मात्र मुहम्मद के कार्टून बना देने से, ईशनिंदा के अपराध में कत्ल करने वाले मुसलमानों द्वारा, ईश्वर का अपमान कराने वाली सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं. हमारे १२ अधिकारी मक्का, मालेगांव आदि के विष्फोट में बंद हैं. हमने विस्फोट कराए हैं और तब तक कराते रहेंगे, जब तक इस्लाम मिट नहीं जाता. क्यों कि यदि ईसाइयत और इस्लाम धरती पर रहेंगे तो कोई मंदिर नहीं बच सकता. किसी नारी की मर्यादा नहीं बच सकती. इस्लाम ने मानव जाति को दो हिस्सों मोमिन और काफ़िर में बाँट रखा है. धरती को भी दो हिस्सों दार उल हर्ब और दार उल इस्लाम में बाँट रखा है. (कुरान ८:३९) काफ़िर को कत्ल करना व दार उल हर्ब भारत को दार उल इस्लाम में बदलना मुसलमानों का मजहबी और संवैधानिक अधिकार है. सोनिया के ईसा ने सोनिया को हमे कत्ल करने की आज्ञा दे रखी है. (बाइबल, लूका १९:२७). हम से पाकपिता गाँधी ने राम राज्य का वादा किया था, हम मनुष्य के पुत्र का मांस खाने और लहू पीने (बाइबल, यूहन्ना ६:५३) वाली सोनिया को सत्ता में नहीं रहने देंगे.



ऐसे ईसाइयत और इस्लाम को संरक्षण देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेदों २९(१) व ३९(ग) की भारतीय संविधान के अनुच्छेदों ६० व १५९ के अधीन शपथ लेकर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा १९६ व १९७ के अधीन सोनिया के लिए लूट, हत्या और बलात्कार के संरक्षण हेतु चाकरी करने वाली प्रतिभा, प्रदेशों के राज्यपाल और भारतीय संविधान को बनाये रखने की शपथ लेने वाले भ्रष्ट जज वैदिक सनातन धर्म और मानव जाति के शत्रु हैं.



यह आश्चर्य की बात है कि २६ जनवरी ई० सन १९५० से आज तक इस मानवता के शत्रु भारतीय संविधान का किसी ने विरोध नहीं किया.

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